Friday, April 18, 2008

सुबह सुबह


सुबह सुबह ये क्या हुवा
न जाने क्यों अब मैं हवायों में चल रहा हूँ
नयी सुबह नयी जगह
नयी तरह से नयी दिशाओं में चल रहा हूँ
नयी नयी हैं मेरी नज़र या हैं नज़ारें नए
या देखते ख्वाब मैं चल रहा हूँ

सुबह सुबह ये क्या हुवा
न जाने क्यों अब मैं हवायों में चल रहा हूँ
नयी सुबह नयी जगह
नयी तरह से ने नजारे मैं देखता हूँ
ये गुनगुनाता हुवा समां , ये मुस्कुराती फिजा
जहाँ के साथ मैं चल रहा हूँ

सुबह सुबह ये क्या हुवा
न जाने क्यों अब मैं हवायों में चल रहा हूँ
जो अभी हैं उसीको जिलें , जो दिया वो जी लिया
वो नशा पी लिया
कल नशा हैं एक नया जो , न किया तो क्या जिया
हर पल को पी के अगर दिल न भर दिया

सुबह सुबह ये क्या हुवा
न जाने क्यों अब मैं हवायों में चल रहा हूँ
नयी सुबह नयी हवा
नयी तरह से नयी दिशाओं में चल रहा हूँ

सुबह सुबह ये क्या हुवा
न जाने क्यों अब मैं हवायों में चल रहा हूँ
नयी सुबह नयी हवा
नयी तरह से नयी दिशाओं में चल रहा हूँ
ये गुनगुनाता हुवा समां , ये मुस्कुराती फिजा
जहाँ के साथ मैं चल रहा हूँ

सुबह सुबह ये क्या हुवा
न जाने क्यों अब मैं हवायों में चल रहा हूँ

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